CABINET APPROVES INTRODUCTION OF THE PAYMENT OF
GRATUITY (AMENDMENT) BILL, 2017
IN THE PARLIAMENT
The Union Cabinet chaired by the Prime Minister Shri Narendra
Modi has given its approval for introduction of the Payment of Gratuity
(Amendment) Bill, 2017 in the Parliament.
The Amendment will
increase the maximum limit of gratuity of employees, in the private sector and
in Public Sector Undertakings/ Autonomous Organizations under Government who
are not covered under CCS (Pension) Rules, at par with Central Government
employees.
Background:
The Payment of
Gratuity Act, 1972 applies to establishments employing 10 or more persons. The
main purpose for enacting this Act is to provide social security to workmen
after retirement, whether retirement is a result of the rules of
superannuation, or physical disablement or impairment of vital part of the
body. Therefore, the Payment of Gratuity Act, 1972 is an important social
security legislation to wage earning population in industries, factories and
establishments.
The present upper
ceiling on gratuity amount under the Act is Rs. 10 Lakh. The provisions for
Central Government employees under Central Civil Services (Pension) Rules, 1972
with regard to gratuity are also similar. Before implementation of 7th Central
Pay Commission, the ceiling under CCS (Pension) Rules, 1972 was Rs. 10 Lakh.
However, with implementation of 7th Central Pay Commission, in case of
Government servants, the ceiling now is Rs. 20 Lakhs effective from 1.1.2016.
Therefore, considering
the inflation and wage increase even in case of employees engaged in private
sector, the Government is of the view that the entitlement of gratuity should
be revised for employees who are covered under the Payment of Gratuity Act,
1972. Accordingly, the Government initiated the process for amendment to
Payment of Gratuity Act, 1972.
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AKT/VBA/SH
(Release ID :170696)
(Release ID :170696)
मंत्रिमंडल ने संसद में उपादान भुगतान (संशोधन) विधेयक, 2017 को पेश करने की मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने
संसद में उपादान भुगतान (संशोधन) विधेयक, 2017 को पेश करने को अपनी मंजूरी दे दी है।
इस संशोधन से निजी क्षेत्र और सरकार के अधीन सार्वजनिक उपक्रम/स्वायत्त
संगठनों के कर्मचारियों के उपादान की अधिकतम सीमा में वृद्धि होगी, जो केंद्र सरकार
के कर्मचारियों के अनुसार सीसीएस (पेंशन) नियमावली के अधीन शामिल नहीं हैं।
पृष्ठभूमि:
दस अथवा अधिक लोगों को नियोजित करने वाली स्थापनाओं
के लिए उपादान भुगतान अधिनियम,
1972 लागू है। इस अधिनियम को लागू करने का मुख्य उद्देश्य
है - सेवानिवृति के बाद कामगारों की सामाजिक सुरक्षा, चाहे सेवानिवृति की नियमावली के परिणामस्वरूप
सेवानिवृति हुई हो अथवा शरीर के महत्वपूर्ण अंग के नाकाम होने से शारीरिक
विकलांगता के कारण सेवानिवृति हुई हो। इसलिए उपादान भुगतान अधिनियम 1972, उद्योगों, कारखानों और स्थापनाओं
में मजदूरी अर्जित करने वाली जनसंख्या के लिए एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा का
विधान है।
अधिनियम के तहत उपादान राशि पर मौजूदा अधिकतम
सीमा 10 लाख रूपये है। उपादान के संबंध में सीसीएस (पेंशन) नियमावली, 1972 के
अधीन केंद्रीय कर्मचारियों के लिए भी समान प्रावधान हैं। सातवां केंद्रीय वेतन
आयोग लागू होने से पहले सीसीएस (पेंशन) नियमावली,1972 के अधीन अधिकतम सीमा 10 लाख रूपये थी। हालांकि
सातवां केंद्रीय वेतन आयोग लागू होने से सरकारी कर्मचारियों के मामले में 1 जनवरी, 2016 से
अधिकतम सीमा अब 20 लाख रूपये है।
इसलिए निजी क्षेत्र में काम करने वाले
कर्मचारियों के मामले में भी महंगाई और वेतन वृद्धि पर विचार करते हुए सरकार का अब
यह विचार है कि उपादान भुगतान अधिनियम,1972 के अधीन
शामिल कर्मचारियों के लिए उपादान की पात्रता में संशोधन किया जाना चाहिए। तदनुसार, सरकार ने उपादान
भुगतान अधिनयिम, 1972 में
संशोधन की प्रक्रिया शुरू की।
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अतुल तिवारी/हिमांशु सिंह/बाल्मीकि महतो/सुधीर सिंह/हेमा मेहरा
(Release
ID 67053)(PIB12/09/2017)
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